रविवार, 26 जुलाई 2009

kavita

सुबह-सुबह दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी ,
उठकर दरवाजा खोला तो सामने तुम दिखाई दी ,
तुम धीरे से मुस्करायी और अन्दर आई ,
आगे बढ़कर तुम्हें जब गले लगाया तो दिल भर आया ,
जो बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो ,
तुम्हारे साथं गुजरे हर-एक पल को याद किया ,
हर कसमे-वादे को याद किया ,
हर-पल में कई पलों को जिया ,
दिल ने चाहा , काश! ये वक्त यहीं ठहर जाए ,
छोड़ के वो मुझे फ़िर जा न पाए ,
अचानक ! अलार्म की घंटी सुनाई दी ,
आँख खुली तो तुम न दिखाई दी ,
सरसरी निगाह से तुम्हे कमरे में ढूंढा ,
घड़ी पर नजर डाली तो सुबह के सात बजे थे ,
तब समझ में आया की हम सपनों में मिले थे ,
फ़िर दिल से यही दुआ निकली ,
काश! ये सच होता, तो कितना अच्छा होता .........................................

kavita

काफी देर से वो वहां खड़ी थी,
जाने क्यों मुझे निहार रही थी,
कभी हंसती कभी मुस्कराती,
मंद मंद कुछ गुनगुनाती,
मैंने! पहले इधर उधर देखा, मौका ताडा
और इशारे से उसे बुलाया,
प्रत्युत्तर मैं उसने सिर्फ़ मुस्कराया,
उसकी मुस्कराहट ने मेरा हौसला बढाया,
आगे बढ़कर एक सवाल दगा,
लड़की से उसका परिचय माँगा,
अचानक ! वो हरकत में आई,
आगे बढ़कर थमी मेरी कलाई,
एक धागा निकला और बंधते हुए बोली ,
मैं आपकी बहन और आप मेरे भाई................

रविवार, 19 जुलाई 2009

kavita

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आज मैंने ये कविता नाम से ब्लॉग की शुरुआत की है .आप यहाँ पर अपनी कविताये ,लेख आदि अपने विचार यहाँ पर मेरे साथ बाँट सकते हैं.